इस बार यह तिथि 20 जून 2023 मंगलवार को पड़ रही है, धर्माचार्यों ने रथ यात्रा का समय रात्रि 10 बजकर 04 मिनट निर्धारित किया है
By @ndy
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भगवान जगन्नाथ, उनके भाई-बहन बलभद्र और सुभद्रा के साथ, जगन्नाथ मंदिर से उड़ीसा के पुरी में गुंडिचा मंदिर तक ले जाया जाता है।
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भगवान जगन्नाथ के रथ को नंदीघोष, भगवान बलभद्र के रथ को तलध्वज और देवी सुभद्रा के रथ को दर्पदलन कहा जाता है।
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रथ एक विशिष्ट प्रकार के पेड़ से बनाए जाते हैं जिन्हें ओडिया में “फस्सी” या “फस्सी डंडा” कहा जाता है
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रथयात्रा शुरू होने से पहले भगवान का स्वास्थ्य 15 दिनों तक ठीक नहीं रहता है, ऐसे में वो एकांतवास करते हैं.उपचार के दौरान 15 दिनों तक मंदिर के कपाट बंद रहते हैं.
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उपचार में भगवान को सोठ, पिंपली, दाल चीनी, गुल मिर्च से बनाया हुआ काढ़ा भगवान श्री जगन्नाथ को पिलाया जाता है.
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पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके रथों को बनाया जाता है, धातु से बनाये गए किसी भी प्रकारकी चीजों का उपयोग नहीं किया जाता है जैसे की लोखंड के सलिये, लोहे की कील.
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रथों का निर्माण कुशल कारीगरों और बढ़ई(carpenters)की एक टीम द्वारा किया जाता है जिन्हें “महाराणा” के रूप में जाना जाता है।