कस्टभंजन देव सालंगपुर धाम जो आज देश विदेश में बहुत प्रतिष्ठित हो रहा है, दोस्तों हम आपको बताएँगे Sarangpur Hanuman Temple के बारेमे. इस लेख में हम बताएँगे की हनुमानजी का नाम कस्टभंजन देव कैसे पड़ा और किसने पाड़ा. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान हनुमान को अंजनी का पुत्र माना जाता है, और पवन पुत्र भी कहा जाता है. (अंजनी पुत्र पवनसुत नाम।) कहा जाता है कि भगवान हनुमान दिव्य शक्तियों के साथ पैदा हुए हैं | भगवान हनुमान ने रामायण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जहां वे एक वफादार भक्त और भगवान राम के मित्र थे। उन्होंने भगवान राम को उनकी पत्नी सीता को राक्षस राजा रावण से बचाने में मदद की, और रावण की सेना के खिलाफ अंतिम लड़ाई में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। भगवान हनुमान को शक्ति, साहस और भक्ति के प्रतीक के रूप में भी पूजा जाता है। भगवान राम के प्रति उनकी भक्ति को हिंदू धर्म में भक्ति के उच्चतम रूप का उदाहरण माना जाता है। हनुमान चालीसा, भगवान हनुमान को समर्पित एक भजन, दुनिया भर के हिंदुओं द्वारा गाया जाने वाला एक लोकप्रिय भक्ति गीत है। भारत में सबसे ज्यादा पूजनीय देव में से एक हनुमान जी है.
Sarangpur Hanuman Temple - सालंगपुर गाम का इतिहास।
मैं आपको सालंगपुर गाव के इतिहास के बारे में बताउ तो गुजरात के बोटाद जिले के अंदर छोटासा गाव सालंगपुर में हिंदू धर्म के भगवान श्री स्वामीनारायण यह पर बहुत रुकते (निवास करते) थे। भगवान स्वामीनारायण को इस गाव के प्रति बहुत लगाव ओर प्रेम था, इस लिए वे अपने संतो के साथ अक्षर यहाँ पे आते रहते थे। इस छोटे से गाव में सर्व ज्ञानी जैसे की ब्राह्मण, बनिया, प्रजापति, सुथार, भरवाड़, पटेल, राजपूत निवास करते थे। इस गाव के मुखिया जीवाखाचर थे उनके दो बेटे वाघा खाचर ओर अमराखाचर थे। कलियुग के नियम के अनुसार जीवा खाचर का देहांत हो गया बादमे अमराखाचर का भी देहांत हो गया, वाघाखाचर रहे लेकिन वो अभी छोटे थे। बादमे तीन साल तक यहां पर दुकाल पड़ा, पता नहीं गाव लोगो से किसी संत का अपराध हो गया, संत के मुखसे अशुभ शब्द निकल गया कि यहां के लोग सब भुखड़ है। इस लिए इस गाव को भूख मारे जैसी परिस्थति का सामना करना पड़ा, तीन साल तक बारिश भी नहीं हुई.
तब भगवान स्वामीनारायण के महान संत सद्गुरु श्री गोपालानंद स्वामी पास के गांव बोटाद में आए हुए थे, वाघाखाचर, साथमे गाव के 5-10 उम्रवान को लेके बोटाद शहर गए, वाघाखाचर स्वामी के सेवक थे स्वामीको गुरु मानते थे | स्वामी के पास जाके वाघाखाचर रोने लगे स्वामी ने दोनो हाथ उस पर रख कर बोले वाघा क्यों रो रहे हैं, तब वघाखाचरने कहा स्वामी दो दो दुकाल पड़े हैं एक तो बारिश नहीं हो राही ओर दूसरा कोई संत हमारे गांव नहीं आ रहे हैं | वाघाखाचरने कहा स्वामी हम भुखे रह सकते हैं लेकिन संत ओर सत्संग के बगेर नहीं रह सकते हम अपने शस्त्रो बेचके भी संत को भुखे नहीं रखेंगे। अमरे गाव आप पाधारो ऐसी प्रार्थना कर रहे हैं |
सद्गुरु गोपालानंद स्वामी की बात करो तो महान संत योगी अष्टांग योग सिद्ध करेल स्वामी ने कहा वाघाखाचर तुम आगे चलो में तुम्हारे पीछे तुम्हारे गाव आ रहा हूं, स्वामि बोटाद से 5-6 हरि भगतो ओर कानो कडिय़ो जो मकान बनाने का काम करते थे उसे साथ ले के सालंगपुर गांव में विक्रम सावंत 1904 में आए |
Significance of This Hanuman Temple चमत्कारी हनुमानजी की मूर्ति
गोपालानंद स्वामी सारंगपुर गाव में चक्कर लगा रहे थे तब स्वामी ने सबसे बड़ा पत्थर देखा जो मरे हुए लोगो को दफनाते हैं ओर वहा पर बड़ा पत्थर रखते थे उसे पालिया कहा जाता है, स्वामी उस पत्थर पर हाथ रख के वाघाखाचर को पूछा ये कौन है तब वाघाखाचर ने दो हाथ जोड़े स्वामी को कहा ये मेरे पर दादा है जो धर्म की रक्षा के लिए उसने जान दे दी वो अदाबापा है। स्वामी ने कहा वाघा इस पत्थर से हनुमानजी की मूर्ति बना ये तो आपको कोई आपत्ती तो नहीं है ना। वाघाखाचर ने कहा ऐसा हमारा अहोभाग्य कहा उसका भी उधार ओर हमारे गाव का भी।
स्वामी ने वह पत्थर को ले जाके दरबार गढ़ में रखवाया जो दरबार गढ़ अभी भी ओरिजिनल रूप में मोजूद है जहां पे भगवान स्वामीनारायण निवास करते थे, फिर काना कडिय़ों को बुलाया ओर कहा काना इस पत्थर में से हनुमान जी की मूर्ति बनाओ, काना ने कहा गुरु मेतो मकान बनाने वाला मुझे कहा मूर्ति बनानी आती है, स्वामी ने अपने दोनो हाथ काना के सर पर रखा ओर सरको हिलाया ओर बोले अब मूर्ति बनाना चालू कर तुम सुंदर मूर्ति बना पाओगे। स्वामी ने अपने हाथों से कागज पे मूर्ति का चित्र बनाया ओर काना को दीया ऐसी मूर्ति बना तेरे हाथों से सुंदर मूर्ति बनेगी ऐसा बोलके स्वामी चले गए ओर कहते गए जब मूर्ति बन जाए तब हमें समाचार देना हम अही आएंगे। 5-6 महीने तक इस मूर्ति बनाने का काम चला फिर स्वामी को समाचार दिया उस जमाने में स्वामी 200 संत ओर विद्वान ब्राह्मणों को लेके सालंगपुर गाव आए |
मंदिर के अंदर एक प्रसादी का कुआ (वाव) है जो आज भी है वह पर सभी गाववाशी पानी भरने के लिए आते थे ओर पुरा गाव उस पानी से अपनी जरुरियात पुरी करते थे| विक्रम संवत 1905 आशो वदी पंचम के दिन बहुत बड़ा यज्ञ करके हनुमानजी की स्थापना की।
Sarangpur Hanuman का नाम कष्टभंजन देव कैसे पड़ा।
स्वामी के साथ केशवदास करके स्वामी थे उसे समाधि हुई ओर वह अक्षर धाम गए भगवान श्री स्वामीनारायण के पास जाके बोले गोपालानंदस्वामी ने आपके संकल्प से सालंगपुर में स्वतंत्र हनुमानजी का धाम बनाने जा रहे हैं, तब स्वामीनारायण भगवान ने वहा बैठे बैठे धरती को वरदान दिया “सालंगपुर में जो हनुमानजी महाराज को स्थायी किया है वह जीव प्राणिमात्र के कस्ट को नष्ट करेंगे”, इसलिए हनुमानजी का नाम कष्टभंजन पड़ेगा। साथ में ऐसा भी कहा कोई नारियल चढ़ाएगा, तेल चढ़ाएगा या थाल भोग धरेगा उन सबकी मनोकामना श्री कष्टभंजन देव पुरी करेंगे।
स्वामी जब समाधि में से बहार आए ओर यह सब बाते गोपालानंद स्वामी को कही तो स्वामी ने हनुमानजीके सामने खड़े होके लकड़ी से हनुमानजी की दाढ़ी से लगायी ओर हनुमानजी की आंखों से आंख मिलाई ओर ब्रह्मांड फट जाए ऐसी मेघ गर्जना हुई, ओर हनुमानजी की मूर्ति कम्पन करने लगी तब दरबारो ने स्वामी के हाथ पकड़ के खमैया करो रुक जाओ स्वामी, ऐसा कहने लगे तब स्वामी का ध्यान भंग हो गया ओर स्वामी ने बोला दरबारो थोड़ी देर लगायी होती तो इस कलयुग में मुझे इस हनुमानजी की मूर्ति को बोलती करनी थी। फिर स्वामी ने हनुमानजी का नाम कष्टभंजन देव रखा ओर एक प्रार्थना की अही जे कोई प्राणिमात्र आपके शरण में आए उसके कोई भी गुना देखे बिना उसके दुख दूर करना। ओर इसी वजह से आज लाखो नहीं करोडो लोग हनुमानजीके दरबार में दर्शन के लिए आते हैं, ओर घंटो तक लाइनमे खड़े रहने पर भी बिना दर्शन किए वापस नहीं जाते।
Sarangpur Darshan Time
Morning Aarti
- Mangla Aarti (Morning)5:30 AM
- Bal Bhog (Darshan Closed) (Morning)6:30 to 7:30
- Shangar Aarti (Only on Saturdays & Tuesdays) (Morning)7:00
- Rajbhog – Thal (Darshan Closed) (Morning)
Salangpur Hanumanji Daily Darshan Closed
- (Noon)12:00 pm to 3:15 pm
Evening Timing
- Sandhya (Evening) Aarti(Evening)On Sunset EveningTimings 6:15 PM
- Thal (Darshan Closed) Till 30 Miutes to post evening Aarti
- Shayan(Darshan Closed)(Night)9:00 to (Morning) 5:30
Sarangpur Live Darshan
साळंगपुर हनुमानजी महाराज के लाइव दर्शन और आरती के दर्शन करना चाहते है तो दिए गए लिंक पर क्लिक करे. Click Here
हनुमानजी का भोग।
शुखड्डी:
वाघाखाचरने गोपालानंद स्वामी से पूछा स्वामी हनुमानजी को भोग में क्या दिया जाए तब स्वामी ने कहा एक संत ने कहा था भुखड़ी प्रजा है तो भुखमरो निकाल के सुखिया करना है तो आज से आप हनुमानजी को शुखड्डी का प्रसाद धराया जाए, तबसे ले के आज तक हनुमानजी को शुखड्डी का प्रसाद धराया जाता है।
The Architecture of the Sarangpur Hanuman Temple - दर्शनार्थी के लिए भोजन की सुविधा।
सालंगपुर श्री कष्टभंजन देव के दर्शन के लिए जो दर्शनार्थी आते हैं उसे फ्री में भोजन की सुविधा राखी गई है बिना नात भात देखे निशुल्क भोजन ग्रहण कर सकते हैं। दादा के दरबार में नूतन भोजनालय बनने जा रहा है जिसमे लगभग 40 करोड का खर्चा होगा, जिस्मे 4,000 लोग एक साथ प्रसाद लेसके ऐसी व्यवस्था रखी गई है, जो 7 विघा जमीन पे बनेगा, बिल्डिंग का काम लगभग 2 लाख 30 हजार स्क्वायर फीट में होगा। भोजनालय में कुल चार बड़े बड़े डाइनिंग हॉल होंगे उसमे जनरल डाइनिंग हॉल की साइज 110/178 फीट होगी जिसमे 4000 लोग प्रसाद ले सकते हैं।
श्री कष्टभंजन देव भोजनालय की विशेषता
- 100 साल से चल रही फ्री फूड सर्विस
- 24 घंटे चलने वाला श्री हनुमानजी महाराज का एकमात्र भोजनालय
- सालाना लगभग 30 लाख श्रद्धालु भोजन प्रसाद का लाभ उठाते हैं
- सुबह में हल्का नाश्ता-बीन्स
- दोपहरः सब्जी-रोटी-दाल-भात व मीठा प्रसाद
- शाम को सब्जी-रोटी-खीचड़ी-कढ़ी का प्रसाद
- प्रति वर्ष 60000 किलो से अधिक शुद्ध घी की खपत होती है।
- 100000 किलो से अधिक गेहूं के आटे की खपत होती है।
- 25000 किलो से ज्यादा गुड़ की खपत होती है।
- 100000 किलो से अधिक चावल की खपत होती है।
- सुबह के 4 बजे से रात 9 बजे तक अलग-अलग विभागों से कुल 80 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं
- पिछले 100 से अधिक वर्षों में, खाद्य व्यवस्था में एक भी अप्रिय घटना या किसी प्रकार की टक्कर नहीं हुई है।
आपको कुछ भी दान देने की इच्छा है तो दिए गए बटन पर क्लिक करके पुण्य का काम कर सकते हैं।
सलंगपुर तीर्थ के दर्शनीय स्थल।
- यश्तिका (छड़ी) :
– श्री हनुमानजी महाराज के दाहिनी ओर, सद्गुरु श्री गोपालानंद स्वामी की प्रसादी की यष्टिका (छड़ी)। - कुंआ:
– श्री कस्तभंजनदेव हनुमानजी मंदिर में प्रसादी का कुआं है। जिसके ऊपर
पीतल का ढक्कन है। जिसके जल से आज भी हनुमान जी महाराज को स्नान कराया जाता है। - भगवान श्री स्वामीनारायण का मंदिर (श्रीहरि मंदिर):
– हनुमानजी मंदिर के परीशर में भव्य काष्ट का नवनिर्मित मंदिर। - भगवान श्री स्वामीनारायण की प्रसादी की गाड़ी, ढोलियो, बाजोठ, पत्थर और विभिन्न काष्ठ जो श्री स्वामीनारायण मंदिर में हैं।
- श्री नारायण कुंड:
– भगवान श्री स्वामीनारायण जब भी सालंगपुर आते थे तब स्नान करने के लिए इसी कुंड का इस्तेमाल करते थे वै प्रसादी का पवित्र स्थान है। आज भी भूत प्रेत,आधी उपाधि से पीड़ित लोगो को इसी कुंड में स्नान कराके पूजा पाठ में बिठाते हैं। - जीवाखाचर का दरबारगढ़ :
– जब भी भगवान श्री स्वामीनारायण सालंगपुर आते थे यहां जीवखाचर के दरबारगढ़ में रहते थे। यहां का एक दर्शनीय और पवित्र स्थान है उस स्थान पर जहां भगवान श्री स्वामीनारायण ने 18 वचनामृत कहे हैं। - श्री नीलकंठ महादेवजी:
– भगवान श्री स्वामीनारायण जब भी सालंगपुर आते थे महादेवजी की पूजा करते थे। यह मंदिर धर्मशाला में स्थित है। - प्रसादी की छत्री:
– मंदिर के परीशर में एक प्रसादी की छत्री है, जहां भगवान श्री स्वामीनारायण ने भोजन किया था। - प्रसादी के चोरो:
– यह श्रीहरि के चरणों से पवित्र सालंगपुर गांव का चोरा है, जहां श्रीहरि कई बार आए हैं।
दर्शनार्थी के लिए रहेनेकी सुविधा।
Ahmedabad to Sarangpur Temple Bus
Bus Routes | Rationg | Time & Duration | Price: |
GSRTC | 4.60 | 04:55 AM --03:30:00- 08:25 AM (Morning) | 110/- |
GSRTC | 4.60 | 05:15 AM --03:50:00-09:05 AM (Morning) | 110/- |
GSRTC | 4.60 | 10:00 AM --04:20:00-02:20 PM (Morning) | 110/- |
GSRTC | 4.60 | 04:40 PM --03:25:00-08:05 PM (Evening) | 110/- |
GSRTC | 4.60 | 08:30 PM --02:45:00-11:15 PM (Evening) | 110/- |
Sarangpur Pin Code
- Taluk : Botad
- Division : Bhavnagar
- District : Botad
- Region : Rajkot
- State : GUJARAT
- Country : INDIA
- Pincode : 364750
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Shree Kashtabhanjan dev Hanumanji Mandir
P.O.Salangpur(Hanuman) Tal:Barwala, Dist.Botad, State-Gujarat, Pin-382450.
Mo: 9825835304 / 05 / 06
Website: www.salangpurhanumanji.org
Email: shreesalangpur@gmail.com
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