हेल्लो फ्रेंड्स यहाँ पर हम बात करेंगे सनातन धर्म के बारेमे, सनातन धर्म क्या है और Sanatan dharm kitna purana hai. सनातन शब्द हिन्दू धर्म से जुड़ा हुआ शब्द है, हिंदू धर्म का इतिहास हजारों साल पुराना है. ॐ को सनातन धर्म का प्रतीक चिह्न ही नहीं बल्कि सनातन परम्परा का सबसे पवित्र शब्द माना जाता है, सनातन धर्म: (वैदिक धर्म) जो वैदिक धर्म के वैकल्पिक नाम से जाना जाता है। सनातन धर्म मूलतः भारतीय धर्म है, वैदिक काल में भारतीय उपमहाद्वीप के धर्म के लिये ‘सनातन धर्म’ नाम मिलता है। ‘सनातन’ का अर्थ है – शाश्वत या ‘हमेशा बना रहने वाला’, अर्थात् जिसका न आदि है न अन्त। सनातन धर्म मूलत: भारतीय धर्म है, जो आत्मा (आत्मान), जन्म और मृत्यु के चक्र (संसार), और इस चक्र से मुक्ति (मोक्ष) की खोज में विश्वास पर जोर देता है
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सनातन धर्म कितना पुराना है
भगवान श्री कृष्ण ने गीता में दूसरे अध्याय के, 24वें श्लोक में, बड़ा स्पष्ट उत्तर दिया गया है।
अच्छेद्योऽयमदाह्योऽयमक्लेद्योऽशोष्य एव च |
नित्य: सर्वगत: स्थाणुरचलोऽयं सनातन: ||
अर्थात हे अर्जुन! जो छेदा नहीं जाता। जलाया नहीं जाता। जो सूखता नहीं। जो गीला नहीं होता। जो स्थान नहीं बदलता। वो कौन है। ऐसे रहस्यमय व सात्विक गुण तो केवल परमात्मा में ही होते हैं। जो सत्ता इन दैवीय गुणों से परिपूर्ण हो। वही सनातन कहलाने के योग्य है।
सनातन धर्म का मूल सत्य नासा कर्मणा वाचा के सिद्धांत के अनुसार, मनुष्य के मन, वाणी तथा शरीर द्वारा एक जैसे कर्म होने चाहिए। ऐसा हमारे धर्मशास्त्र कहते हैं। मन में कुछ हो, वाणी कुछ कहे और कर्म सर्वथा इनसे भिन्न हो। इसे ही मिथ्या आचरण कहा गया है।
कर्मेन्द्रियाणि संयम्य य आस्ते मनसा स्मरन्।
इन्द्रियार्थान्विमूढात्मा मिथ्याचारः स उच्यते।।
सनातन धर्म के संस्थापक कौन हैं
विश्व भर के लोगोको यहाँ जान ने की उत्शुक्ता है की सनातन धर्म के संस्थापक कौन हैं लेकिन यह बात सत्य है की सनातन धर्म के संस्थापक कोई व्यक्ति नहीं हैं। यह धर्म भारत की ऐसी प्राचीन परंपरा है जो हजारों वर्षों से चली आ रही है। इस धर्म का जीवन और संस्कृति के संबंध में ज्ञान और अनुभव लम्बे समय से इसके समर्थकों द्वारा प्रतिस्थापित रहा है। सनातन धर्म अनेक धर्मशास्त्रों, उपनिषदों, पुराणों, वेदों आदि के माध्यम से जाना जाता है। इनमें से अधिकतर धर्मशास्त्रों एवं उपनिषदों का श्रेय मुनियों, ऋषियों एवं आध्यात्मिक गुरुओं को जाता है। इसलिए सनातन धर्म के संस्थापक के रूप में किसी व्यक्ति का नाम नहीं है। इसे भारतीय सभ्यता और संस्कृति का अभिन्न अंग माना जाता है।
सनातन धर्मके मुख्य देवी देवता कौन है।
- ब्रह्मा, विष्णु और शिव: त्रिमूर्ति के रूप में जाना जाता है। ब्रह्मा विविधता का प्रतीक है, विष्णु संरक्षण और संतुलन का प्रतीक है और शिव संहार का प्रतीक है।
- देवी: शक्ति और शक्तिमान के संयोग से उत्पन्न हुई है। देवी कई नामों से जानी जाती है, जैसे दुर्गा, काली, लक्ष्मी, सरस्वती, पार्वती और अन्य।
- गणेश: सभी शुभ कार्यों के प्रथम पूज्य होते हैं और विधिपूर्वक कार्यों को सम्पन्न करने के लिए आशीर्वाद देते हैं।
- सूर्य और चंद्रमा: सूर्य जीवन का स्रोत है और चंद्रमा मन की शांति के प्रतीक है।
- यमराज: मृत्यु के देवता हैं।
- अग्नि: पवित्रता का प्रतीक है और आग की पूजा धर्म में महत्वपूर्ण होती है।
सनातन धर्म की विशिष्टताए।
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सनातन धर्म में मुख्य रूप से चार वेद हैं –
- ऋग्वेद,
- यजुर्वेद,
- सामवेद
- अथर्ववेद।
हिंदू पुराणों के नाम
ब्रह्म पुराण | वाराह पुराण | स्कंद पुराण |
विष्णु पुराण | भविष्य पुराण | कुर्मा पुराण |
भागवत पुराण | ब्रह्मवैवर्त पुराण | वामन पुराण |
पद्म पुराण | लिंग पुराण | मत्स्य पुराण |
वायु पुराण | मार्कंडेय पुराण | गरुण पुराण |
नारद पुराण | अग्नि पुराण | ब्रह्मांड पुराण |
मुख्य उपनिषद
उपनिषदों की संख्या लगभग 108 है जिनमें से प्रायः १३ उपनिषदों को मुख्य उपनिषद् कहा जाता है। मुख्य उपनिषद, वे उपनिषद हैं जो प्राचीनतम हैं और जिनका पठन-पाठन अधिक हुआ है। इनका रचनाकाल ८०० ईसापूर्व से लेकर ईसवी सन के आरम्भ तक माना जाता है। भारत में अंग्रेजों के शासन के समय के कुछ विद्वान यद्यपि केवल दस उपनिषदों को मुख्य उपनिषद की श्रेणी में रखते थे, किन्तु अब अधिकांश विद्वान १३ उपनिषदों को मुख्य उपनिषद मानते हैं-
(१) ईशावास्योपनिषद्, | (२) केनोपनिषद् | (३) कठोपनिषद् |
(४) प्रश्नोपनिषद् | (५) मुण्डकोपनिषद् | (६) माण्डूक्योपनिषद् |
(७) तैत्तरीयोपनिषद् | (८) ऐतरेयोपनिषद् | (९) छान्दोग्योपनिषद् |
(१०) बृहदारण्यकोपनिषद् | (११) श्वेताश्वतरोपनिषद् | (१२) कौशितकी उपनिषद् |
(१३) मैत्रायणी उपनिषद् |
Nakshatra नक्षत्र
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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, नक्षत्र सितारों को संदर्भित करता है। 360⁰ राशि प्रणाली को 12 राशियों में विभाजित किया गया है। ज्योतिष शास्त्र में कुल 27 नक्षत्र हैं, अतः प्रत्येक तारे का मान 13⁰ 20′ होता है। प्राचीन काल में नक्षत्रों को ईश्वर की आराधना का साधन माना जाता था। ये 27 नक्षत्र चंद्रमा की गति पर आधारित हैं, जो अपनी कक्षा के चारों ओर लगभग 27.3 दिनों की यात्रा करता है। इसलिए, इनमें से किसी भी सितारे में चंद्रमा की स्थिति के आधार पर किसी व्यक्ति के जन्म नक्षत्र की गणना की जाती है
1) Ashvini/Aswini | 2) Bharani |
3) Krittika/Krithika | 4) Rohini |
5) Mrigashirsha | 6) Ardra आर्द्रा |
7) Punarvasu पुनर्वसु | 8) Pushya |
9) Ashlesha | 10) Magha |
11) Purva Phalguni पूर्व फाल्गुनी | 12) Uttara Phalguni |
13) Hasta | 14) Chitra |
15) Swati | 16) Vishakha |
17) Anuradha अनुराधा | 18) Jyeshtha |
19) Mula | 20) Purva Ashadha |
21) Uttara Ashadha उत्तराषाढा | 22) Shravana |
23) Dhanishtha श्रविष्ठा/धनिष्ठा | 24) Shatabhisha |
25) Purva Bhadrapada पूर्वभाद्रपदा/पूर्वप्रोष्ठपदा | 26) Uttara Bhadrapada |
27) Revati | |
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